कैवल्यमूर्तिं योगासनस्थं
कारुण्यपूर्णं कार्तस्वराभम्|
बिल्वादिपत्रैरभ्यर्चिताङ्गं
देवं भजेऽहं बालेन्दुमौलिम्|
गन्धर्वयक्षैः सिद्धैरुदारै-
र्देवैर्मनुष्यैः संपूज्यरूपम्|
सर्वेन्द्रियेशं सर्वार्तिनाशं
देवं भजेऽहं योगेशमार्यम्|
भस्मार्च्यलिङ्गं कण्ठेभुजङ्गं
नृत्यादितुष्टं निर्मोहरूपम्|
भक्तैरनल्पैः संसेविगात्रं
देवं भजेऽहं नित्यं शिवाख्यम्|
भर्गं गिरीशं भूतेशमुग्रं
नन्दीशमाद्यं पञ्चाननं च|
त्र्यक्षं कृपालुं शर्वं जटालं
देवं भजेऽहं शम्भुं महेशम्|
राघव अष्टक स्तोत्र
राघवं करुणाकरं मुनिसेवितं सुरवन्दितं जानकीवदनारविन्द- ....
Click here to know more..गोमति स्तुति
मातर्गोमति तावकीनपयसां पूरेषु मज्जन्ति ये तेऽन्ते दिव्....
Click here to know more..माता महाकाली के दिव्य लोक का वर्णन
माता महाकाली का दिव्य लोक अमृत सागर के बीच है । अग्नि के स....
Click here to know more..