भो शम्भो शिव शम्भो स्वयंभो
गङ्गाधर शङ्कर करुणाकर मामव भवसागरतारक
निर्गुणपरब्रह्मस्वरूप गमागमभूत प्रपञ्चरहित
निजगुणनिहित नितान्त अनन्त
आनन्द अतिशय अक्षयलिङ्ग
धिमित धिमित धिमि धिमि किट किट तों
तों तों तरिकिट तरिकिट किट तों
मतङ्गमुनिवरवन्दित-ईश सर्वदिगम्बरवेष्टितवेष
नित्य निरञ्जन नित्यनटेश ईश सभेश सर्वेश
शिव अपराध क्षमापण स्तोत्र
आदौ कर्मप्रसङ्गात् कलयति कलुषं मातृकुक्षौ स्थितं मां व....
Click here to know more..नटराज स्तोत्र
ह्रीमत्या शिवया विराण्मयमजं हृत्पङ्कजस्थं सदा ह्रीणान....
Click here to know more..उत्तंग मुनि जनमेजय को सर्प सत्र करने को कहते हैं