विष्णु जय मंगल स्तोत्र

जय जय देवदेव।
जय माधव केशव।
जयपद्मपलाशाक्ष।
जय गोविन्द गोपते।
जय जय पद्मनाभ।
जय वैकुण्ठ वामन।
जय पद्महृषीकेश।
जय दामोदराच्युत।
जय पद्मेश्वरानन्त।
जय लोकगुरो जय।
जय शङ्खगदापाणे।
जय भूधरसूकर।
जय यज्ञेश वाराह।
जय भूधर भूमिप।
जय योगेश योगज्ञ।
जय योगप्रवर्त्तक।
जय योगप्रवर्त्तक।
जय धर्मप्रवर्त्तक।
कृतप्रिय जय जय।
यज्ञेश यज्ञाङ्ग जय।
जय वन्दितसद्द्विज।
जय नारदसिद्धिद।
जय पुण्यवतां गेह।
जय वैदिकभाजन।
जय जय चतुर्भुज।
जय दैत्यभयावह।
जय सर्वज्ञ सर्वात्मन्।
जय शङ्कर शाश्वत।
जय विष्णो महादेव।
जय नित्यमधोक्षज।
प्रसादं कुरु देवेश।
दर्शयाद्य स्वकां तनुम्।

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