मैत्रीं भजत

 

 

मैत्रीं भजत अखिलहृज्जेत्रीम्।
आत्मवदेव परानपि पश्यत।
युद्धं त्यजत, स्पर्धां त्यजत।
त्यजत परेष्वक्रममाक्रमणम्।

जननी पृथिवी कामदुघाऽऽस्ते।
जनको देवः सकलदयालुः।
दाम्यत दत्त दयध्वं जनताः ।
श्रेयो भूयात् सकलजनानाम् ।

Ramaswamy Sastry and Vighnesh Ghanapaathi

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