आर्याम्बाजठरे जनिर्द्विजसतीदारिद्र्यनिर्मूलनं
सन्यासाश्रयणं गुरूपसदनं श्रीमण्डनादेर्जयः।
शिष्यौघग्रहणं सुभाष्यरचनं सर्वज्ञपीठाश्रयः
पीठानां रचनेति सङ्ग्रहमयी सैषा कथा शाङ्करी।।
कृष्ण अष्टक
वसुदेवसुतं देवं कंसचाणूरमर्दनम्। देवकीपरमानन्दं कृष्....
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मङ्गलं पुण्यगङ्गे ते सहस्रश्लोकसंस्फुरे। सहस्रायुतसत....
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