स्वभावं न जहात्येव साधुः

स्वभावं न जहात्येव साधुरापद्गतोऽपि सन् |
कर्पूरः पावकस्पृष्टः सौरभं लभतेतराम् ||

 

आपदाओं के आने पर भी साधुजन अच्छे कार्यों को करने के अपने गुण को त्यागते नहीं हैं | जिस प्रकार आग पकडने पर कपूर और भी तेजी से महकाता है, वैसे ही साधु जन आपदाओं के प्राप्त होने पर और अच्छे कर्म कर के उस आपदा से बाहर आते हैं |

 

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अरब सागर में।

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बादरायण वेद व्यास जी का नाम है ।

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