प्रारब्धमुत्तमजना न परित्यजन्ति

प्रारभ्यते न खलु विघ्नभयेन नीचैः
प्रारभ्य विघ्नविहता विरमन्ति मध्याः|
विघ्नैः पुनः पुनरपि प्रतिहन्यमानाः
प्रारब्धमुत्तमजना न परित्यजन्ति|

 

इस संसार में तीन श्रेणी के लोग होते हैं| तीसरे श्रेणी के लोग कार्य में बाधा आ जाएगी इस डर के कारण से किसी भी कार्य की शुरुआत नहीं करते| दूसरे श्रेणी के लोग कार्य की शुरुआत कर के फिर बाधाओं के आने के बाद उस कार्य को बीच मे ही छोड देते हैं| और पहले व उत्तम श्रेणी के लोग वें होतें हैं, जो हजारों बाधाओं के आने पर भी अपने द्वारा प्रारंभ किये कार्य को सफलता के साथ समाप्त करते हैं|

 

हिन्दी

हिन्दी

सुभाषित

Click on any topic to open

Copyright © 2025 | Vedadhara | All Rights Reserved. | Designed & Developed by Claps and Whistles
| | | | |
Vedahdara - Personalize
Whatsapp Group Icon
Have questions on Sanatana Dharma? Ask here...