स्वभावं न जहात्येव साधुरापद्गतोऽपि सन् |
कर्पूरः पावकस्पृष्टः सौरभं लभतेतराम् ||
आपदाओं के आने पर भी साधुजन अच्छे कार्यों को करने के अपने गुण को त्यागते नहीं हैं | जिस प्रकार आग पकडने पर कपूर और भी तेजी से महकाता है, वैसे ही साधु जन आपदाओं के प्राप्त होने पर और अच्छे कर्म कर के उस आपदा से बाहर आते हैं |
गणेश चतुर्थी पर भगवान गणेश की पूजा मिट्टी की मूर्ति के द्वारा की जाती है। यह मूर्ति अस्थायी है। पूजा के बाद इसे पानी में इसलिए डुबोया जाता है ताकि वह अशुद्ध न हो जाए।
भगवान शिव घोर तपस्या कर रहे थे। उनका शरीर गर्म हो गया और उनके पसीने से नर्मदा नदी अस्तित्व में आई। नर्मदा को शिव की पुत्री माना जाता है।
नाथ संप्रदाय के प्रभावी तंत्र-मंत्र टोटके
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वेकटेश अष्टोत्तर शत नामावलि
ॐ वेङ्कटेशाय नमः। ॐ शेषाद्रिनिलयाय नमः। ॐ वृषदृग्गोचरा�....
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