महिषासुरदैत्यजये विजये
भुवि भक्तजनेषु कृतैकदये।
परिवन्दितलोकपरे सुवरे
परिपाहि सुरेश्वरि मामनिशम्।
कनकादिविभूषितसद्वसने
शरदिन्दुसुसुन्दरसद्वदने।
परिपालितचारुजने मदने
परिपाहि सुरेश्वरि मामनिशम्।
वृतगूढसुशास्त्रविवेकनिधे
भुवनत्रयभूतिभवैकविधे।
परिसेवितदेवसमूहसुधे
परिपाहि सुरेश्वरि मामनिशम्।
जगदादितले कमले विमले
शिवविष्णुकसेवितसर्वकले।
कृतयज्ञजपव्रतपुण्यफले
परिपाहि सुरेश्वरि मामनिशम्।
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