पाशाङ्कुशाभयवरान् दधानं कञ्जहस्तया।
पत्न्याश्लिष्टं रक्ततनुं त्रिनेत्रं गणपं भजे।
कृष्ण द्वादश नाम स्तोत्र
किं ते नामसहस्रेण विज्ञातेन तवाऽर्जुन। तानि नामानि विज....
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श्रीमत्पयोनिधिनिकेतनचक्रपाणे भोगीन्द्रभोगमणिराजितप....
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आइए देखते हैं - वेद इसके बारे में वेद क्या कहते हैं।....
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