स्वस्ति श्रीगणनायको गजमुखो मोरेश्वरः सिद्धिदो
बल्लाळस्तु विनायकस्त्वथ मढे चिन्तामणिस्थेवरे।
लेण्याद्रौ गिरिजात्मजः सुवरदो विघ्नेश्वरश्चोझरे
ग्रामे राञ्जणसंस्थितो गणपतिः कुर्यात् सदा मङ्गलम्।
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गरुड गमन तव
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