आदिपूज्यं गणाध्यक्षमुमापुत्रं विनायकम्।
मङ्गलं परमं रूपं श्रीगणेशं नमाम्यहम्।।
काशी पंचक
मनोनिवृत्तिः परमोपशान्तिः सा तीर्थवर्या मणिकर्णिका च। ....
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विधिस्तुतं वैदिकमन्त्रपूजितं वरिष्ठमापत्सु सुरक्षकं ....
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