आदौ रामतपोवनादिगमनं हत्वा मृगं काञ्चनं
वैदेहीहरणं जटायुमरणं सुग्रीवसम्भाषणम् ।
बालीनिग्रहणं समुद्रतरणं लङ्कापुरीदाहनं
पश्चाद्रावणकुम्भकर्णहननं चैतद्धि रामायणम् ॥
एक श्लोकि रामायण का भावार्थ
रामायण का संक्षिप्त रूपांतरण -
गणप स्तव
पाशाङ्कुशाभयवरान् दधानं कञ्जहस्तया। पत्न्याश्लिष्टं ....
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