एक श्लोकी सुंदरकांड

यस्य श्रीहनुमाननुग्रहबलात्तीर्णाम्बुधिर्लीलया
लङ्कां प्राप्य निशाम्य रामदयितां भङ्क्त्वा वनं राक्षसान्।
अक्षादीन् विनिहत्य वीक्ष्य दशकं दग्ध्वा पुरीं तां पुनः
तीर्णाब्धिः कपिभिर्युतो यमनमत् तं रामचन्द्रं भजे।।

एक श्लोकि सुन्दरकाण्ड का भावार्थ -

जिन श्रीराम जी के अनुग्रह से हनुमान जी ने -
समंदर को पार किया,
लंका पहुंचकर सीता देवी से मिला,
रावण के उद्यान का भंजन किया,
अक्षादि राक्षसों को मारा,
रावण को देखा,
लंका को जलाया,
समंदर पार करके वापस आए
उन श्रीराम जी को मैं नमस्कार करता हूं।

 

 

 

Ramaswamy Sastry and Vighnesh Ghanapaathi

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