पाशाङ्कुशाभयवरान् दधानं कञ्जहस्तया।
पत्न्याश्लिष्टं रक्ततनुं त्रिनेत्रं गणपं भजे।
अच्युताष्टक
अच्युतं केशवं रामनारायणं कृष्णदामोदरं वासुदेवं हरिम्। ....
Click here to know more..नवग्रह करावलम्ब स्तोत्र
केतोश्च यः पठति भूरि करावलम्ब स्तोत्रं स यातु सकलांश्च म....
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रामायण को भगवद्रामायण क्यों नहीं कहते? महाभारत को भगवद्म....
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