परिधीकृतपूर्ण- जगत्त्रितय-
प्रभवामलपद्मदिनेश युगे।
श्रुतिसागर- तत्त्वविशालनिधे
गणनायक भोः परिपालय माम्।
स्मरदर्पविनाशित- पादनखा-
ग्र समग्रभवाम्बुधि- पालक हे।
सकलागममग्न- बृहज्जलधे
गणनायक भोः परिपालय माम्।
रुचिरादिममाक्षिक- शोभित सु-
प्रियमोदकहस्त शरण्यगते।
जगदेकसुपार- विधानविधे
गणनायक भोः परिपालय माम्।
सुरसागरतीरग- पङ्कभव-
स्थितनन्दन- संस्तुतलोकपते।
कृपणैकदया- परभागवते
गणनायक भोः परिपालय माम्।
सुरचित्तमनोहर- शुभ्रमुख-
प्रखरोर्जित- सुस्मितदेवसखे।
गजमुख्य गजासुरमर्दक हे
गणनायक भोः परिपालय माम्।
कामेश्वर स्तोत्र
ककाररूपाय करात्तपाशसृणीक्षुपुष्पाय कलेश्वराय। काकोदर....
Click here to know more..गोदावरी स्तोत्र
या स्नानमात्राय नराय गोदा गोदानपुण्याधिदृशिः कुगोदा। ग....
Click here to know more..पाण्डव और कौरव पक्ष के वीरों का वर्णन