परिधीकृतपूर्ण- जगत्त्रितय-
प्रभवामलपद्मदिनेश युगे।
श्रुतिसागर- तत्त्वविशालनिधे
गणनायक भोः परिपालय माम्।
स्मरदर्पविनाशित- पादनखा-
ग्र समग्रभवाम्बुधि- पालक हे।
सकलागममग्न- बृहज्जलधे
गणनायक भोः परिपालय माम्।
रुचिरादिममाक्षिक- शोभित सु-
प्रियमोदकहस्त शरण्यगते।
जगदेकसुपार- विधानविधे
गणनायक भोः परिपालय माम्।
सुरसागरतीरग- पङ्कभव-
स्थितनन्दन- संस्तुतलोकपते।
कृपणैकदया- परभागवते
गणनायक भोः परिपालय माम्।
सुरचित्तमनोहर- शुभ्रमुख-
प्रखरोर्जित- सुस्मितदेवसखे।
गजमुख्य गजासुरमर्दक हे
गणनायक भोः परिपालय माम्।
नरसिंह द्वादश नाम स्तोत्र
अस्य श्रीनृसिंह द्वादशनाम स्तोत्रमहामन्त्रस्य वेदव्य�....
Click here to know more..विघ्नेश स्तुति
आप्रत्यूषविहारिणो गगनगाः नैकाः मनोज्ञाः स्थली- र्वीक्ष....
Click here to know more..अध्यात्म में प्रगति के लिए कई विकल्प
अध्यात्म में प्रगति के लिए कई विकल्प हैं, पर जो भी करोगे श�....
Click here to know more..