भोले धुन - महाकुम्भ

अश्वमेधसहस्राणि वाजपेयशतानि च ।

लक्षं प्रदक्षिणा भूमेः कुम्भस्नाने हि तत् फलम् ।।

नमः पार्वतीपतये हर हर महादेव ।

कुम्भ कुम्भ महाकुम्भ कुम्भ चल डुबकी लगा बोल भोले धुन

गंगा जमुना और सरस्वती के स्नान से पा लेगा पुण्य

अमृत कलश की बूंदों से धुल जाएंगे सारे अवगुण

(कुम्भ कुम्भ महाकुम्भ)

ब्रह्माजी ने चारों वेद को पाकर प्रथम यज्ञ किया

प्रथम याग के कारण इस भूमि का नाम प्रयाग हुआ

(कुम्भ कुम्भ महाकुम्भ)

नमः शम्भवाय च मयोभवाय च नमः शङ्कराय च मयस्कराय च नमः शिवाय च शिवतराय च

बृहस्पति वृष राशि आगए मकर राशि में मार्तण्ड 

संक्रांति से शिवरात्रि तक देव करेंगे यहां विचरण

(कुम्भ कुम्भ महाकुम्भ)

ग्रहाणां च यथा सूर्यो नक्षत्राणां यथा शशी ।

तीर्थानामुत्तमं तीर्थं प्रयागाख्यमनुत्तमम् ।।

अमृत स्नान को करके ऋषि भारद्वाज आश्रम जाना

द्वादश माघ बडे हनुमन अक्षय वट का दर्शन करना

(कुम्भ कुम्भ महाकुम्भ)

अइउण् । ऋलृक् । एओङ् । ऐऔच् । हयवरट् । लण् । ञमङणनम् । झभञ् । घढधष् । जबगडदश् । खफछठथचटतव् । कपय् । शषसर् । हल् । 

बारह वर्ष के बाद स्वयं को जानने का अवसर है

सत्य सनातन संत संस्कृति का ये दिव्य महोत्सव है

(कुम्भ कुम्भ महाकुम्भ)

भोले की धुन बोल भोले धुन

(कुम्भ कुम्भ महाकुम्भ)

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