शंकर तेरी जटा से

शंकर तेरी जटा से
बहती है गंग धारा
काली घटा के अंदर
जु दामिनी उजाला
शंकर तेरी जटा से
बहती है गंग धारा
गल में मुंड माला की साजे
शशि भाल में गंग विराजे
डम डम डमरू बाजे
कर में त्रिशूल धारा
शंकर तेरी जटा से
बहती है गंग धारा
भृग में तीन है तेज विसारे
कटीबंद में नाग सवारे
कहलाते कैलाश पति ये
करते जहाँ विसारा
शंकर तेरी जटा से
बहती है गंग धारा
शिव के नाम को जो उच्चारे
सबके पाप दोष दुःख हारे
सारी श्रष्टि के दाता ये
भव से पार उतारे
शंकर तेरी जटा से
बहती है गंग धारा
शंकर तेरी जटा से
बहती है गंग धारा
काली घटा के अंदर
जु दामिनी उजाला
शंकर तेरी जटा से
बहती है गंग धारा

 

 

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महाभारत का नाम क्यों पडा?

महत्वाद्भारवत्वाच्च महाभारतमुच्यते। एक तराजू की एक तरफ महाभारत और दूसरी बाकी सभी धर्म ग्रन्थ रखे गये। देवों और ऋषियों के सान्निध्य में व्यास जी के आदेश पर यह किया गया था। महाभारत बाकी सभी ग्रन्थों से भारी दिखाई दिया। भार और अपने महत्त्व के कारण इस ग्रन्थ का नाम महाभारत रखा गया। धर्म और अधर्म का दृष्टांतों के साथ विवेचन महाभारत के समान अन्य किसी भी ग्रन्थ में नहीं हुआ है।

भक्ति-योग का लक्ष्य क्या है?

भक्ति-योग में लक्ष्य भगवान श्रीकृष्ण के साथ मिलन है, उनमें विलय है। कोई अन्य देवता नहीं, यहां तक कि भगवान के अन्य अवतार भी नहीं क्योंकि केवल कृष्ण ही सभी प्रकार से पूर्ण हैं।

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