भीष्म जी अपने पूर्व जन्म में द्यौ थे जो अष्ट वसुओं में से एक हैं। वे सभी ऋषि वशिष्ठ के श्राप के कारण धरती पर जन्म लिए थे। उनकी मां, गंगा ने उन्हें श्राप से राहत देने के लिए जन्म के तुरंत बाद उनमें से सात को डुबो दिया। सिर्फ भीष्म जी जीवित रहे।
राजा भरत पाडवों के पूर्वज थे। शकुंतला उनकी मां थी।
अगर आप भगवान शिव के भक्त हैं, तो शिव जी के आठ रूपों के बारे में जानना महत्वपूर्ण है, जिन्हें अष्टमूर्तियाँ कहते हैं।
अष्टमूर्तियों का अवधारणा बताती है कि यह ब्रह्मांड को शिव जी का ही अभिव्यक्ति है। पंचभूत, जिनसे इस ब्रह्मांड की रचना हुई है, वे सभी शिव जी ही हैं। भूमि, जल, अग्नि, वायु, और आकाश, ये सब भगवान शिव ही हैं। जब भी आप कुछ ठोस को देखते हैं, तो आपको यह समझना चाहिए कि वह शिव है। जब भी आप कुछ तरल को देखते हैं, तो आपको यह समझना चाहिए कि वह शिव है। जब भी आप कुछ वायुमय देखते हैं, तो आपको यह समझना चाहिए कि वह शिव है। जब भी आप किसी ऊर्जा जैसे आग, बिजली, हवा को देखते हैं, तो आपको यह समझना चाहिए कि वह शिव है। जब भी आप आकाश अर्थात स्पेस को देखते हैं, तो आपको यह समझना चाहिए कि वह शिव है। इसलिए सारा सांसारिक जगत शिव का ही अभिव्यक्ति है।
सूर्य और चंद्र, ये दोनों ही दृष्टिगोचर देवताएँ हैं, और वे भी शिव हैं। जब भी आप किसीको पूजा करते हुए देखते हैं, तो आपको यह समझना चाहिए कि वह भी शिव है। पूजा करनेवाले को यजमान कखते हैं। तो शिव के आठ रूप हैं - भूमि, जल, अग्नि, वायु, आकाश, यजमान, सूर्य, और चंद्र।
आप अष्टमूर्तियों को नमस्कार इस प्रकार कर सकते हैं -
ॐ शर्वाय क्षितिमूर्तये नमः
ॐ भवाय जलमूर्तये नमः
ॐ रुद्राय अग्निमूर्तये नमः
ॐ उग्राय वायुमूर्तये नमः
ॐ भीमाय आकाशमूर्तये नमः
ॐ पशुपतये यजमानमूर्तये नमः
ॐ महादेवाय सोममूर्तये नमः
ॐ ईशानाय सूर्यमूर्तये नमः
इन अष्टमूर्तियों के लिए कई मंदिर भी हैं। हर सूर्य मंदिर ईशान, सूर्यमूर्ति का है। गुजरात के सोमनाथ मंदिर और बंगाल के चंद्रनाथ मंदिर महादेव, चंद्रमूर्ति के हैं। नेपाल का पशुपतिनाथ मंदिर यजमानमूर्ति का है। कांचीपुरम का एकम्रेश्वर मंदिर शर्व, क्षितिमूर्ति का है। तिरुवनैकावल का जंबुकेश्वर मंदिर भव, जलमूर्ति का है। अरुणाचलेश्वर मंदिर रुद्र, अग्निमूर्ति का है। श्रीकालहस्ती उग्र, वायुमूर्ति का है। चिदंबरम नटराज मंदिर भीम, आकाशमूर्ति का है।
आपको इन मंदिरों का जीवन में एक बार जरूर दर्शन करने का प्रयास करना चाहिए।
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