एक नगर में एक प्रसिद्ध वैद्य रहा करता था। 

उसने काफी पैसा भी कमा लिया था। 

एक दिन कुछ मित्र उसकी प्रशंसा करने लगे तब उसने उनसे कहा - 'क्या मैं एक रहस्य तुम्हें बताऊँ? सच कहा जाय तो मैं अधम वैद्य हूं ।

मित्रों को आश्चर्य  हुआ।  

’यह कभी सच नहीं हो सकता ।’ 

’इस बात पर इस शहर में किसी को विश्वास न होगा।' - उन्होंने कहा ।

’पर है यह सच ही !' 

'सुनिये ! हम तीन भाई हैं और तीनों वैद्य हैं।’

’हमारा बड़ा भाई उत्तम वैद्य है।’

’वह आनेवाले रोगों को पहिले ही जान लेता है ।’

’आहार में परिवर्तन करके वह रोग को आने से रोक देता है ।’ 

’लोग यह भी नहीं जानते कि वह वैद्य है।’ 

’हमारा दूसरा भाई मध्यम श्रेणी का वैद्य है।’ 

’वह रोग को शुरू में ताड लेता है और तभी उसको निर्मूल कर देता है ।’ 

’इसलिए लोग जान गये कि वह छोटी-मोटी बीमारियों का इलाज कर सकता है।’ 

’और मैं अधम श्रेणी का वैद्य हैं ।’ 

’ रोग जब तक बढ़ नहीं जाता तब तक में उसे हटा नहीं पाता ।’ 

’उसके बाद दुनियाँ भर के कषाय, चूर्ण देकर, रोग से युद्ध करके जीतता हूँ ।’ 

’और रोग यदि दवाइयों के बस न आया तो उसकी शल्य-चिकित्सा भी करता हूँ ।’ 

’इसलिए ही लोग मुझे बड़ा वैद्य कहते हैं।'

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