आदिलक्ष्मि नमस्तेऽस्तु परब्रह्मस्वरूपिणि।
यशो देहि धनं देहि सर्वकामांश्च देहि मे।
सन्तानलक्ष्मि नमस्तेऽस्तु पुत्रपौत्रप्रदायिनि।
पुत्रं देहि धनं देहि सर्वकामांश्च देहि मे।
विद्यालक्ष्मि नमस्तोऽस्तु ब्रह्मविद्यास्वरूपिणि।
विद्यां देहि कलां देहि सर्वकामांश्च देहि मे।
धनलक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्वदारिद्र्यनाशिनि।
धनं देहि श्रियं देहि सर्वकामांश्च देहि मे।
धान्यलक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्वाभरणभूषिते।
धान्यं देहि धनं देहि सर्वकामांश्च देहि मे।
मेधालक्ष्मि नमस्तेऽस्तु कलिकल्मषनाशिनि।
प्रज्ञां देहि श्रियं देहि सर्वकामांश्च देहि मे।
गजलक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्वदेवस्वरूपिणि।
अश्वांश्च गोकुलं देहि सर्वकामांश्च देहि मे।
धैर्यलक्ष्मि नमस्तेऽस्तु पराशक्तिस्वरूपिणि।
धैर्यं देहि बलं देहि सर्वकामांश्च देहि मे।
जयलक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्वकार्यजयप्रदे।
जयं देहि शुभं देहि सर्वकामांश्च देहि मे।
भाग्यलक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सौमङ्गल्यविवर्धिनि।
भाग्यं देहि श्रियं देहि सर्वकामांश्च देहि मे।
कीर्तिलक्ष्मि नमस्तेऽस्ति विष्णुवक्षस्थलस्थिते।
कीर्तिं देहि श्रियं देहि सर्वकामांश्च देहि मे।
आरोग्यलक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्वरोगनिवारिणि।
आयुर्देहि श्रियं देहि सर्वकामांश्च देहि मे।
सिद्धलक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्वसिद्धिप्रदायिनि।
सिद्धिं देहि श्रियं देहि सर्वकामांश्च देहि मे।
सौन्दर्यलक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्वालङ्कारशोभिते।
रूपं देहि श्रियं देहि सर्वकामांश्च देहि मे।
साम्राज्यलक्ष्मि नमस्तेऽस्तु भुक्तिमुक्तिप्रदायिनि।
मोक्षं देहि श्रियं देहि सर्वकामांश्च देहि मे।
मङ्गले मङ्गलाधारे माङ्गल्ये मङ्गलप्रदे।
मङ्गलार्थं मङ्गलेशि माङ्गल्यं देहि मे सदा।
सोम स्तोत्र
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