अरविन्दगन्धिवदनां श्रुतिप्रियां
सकलागमांशकरपुस्तकान्विताम्।
रमणीयशुभ्रवसनां सुराग्रजां
विमलां दयाकरसरस्वतीं भजे।
सरसीरुहासनगतां विधिप्रियां
जगतीपुरस्य जननीं वरप्रदाम्।
सुलभां नितान्तमृदुमञ्जुभाषिणीं
विमलां दयाकरसरस्वतीं भजे।
परमेश्वरीं विधिनुतां सनातनीं
भयदोषकल्मषमदार्तिहारिणीम्।
समकामदां मुनिमनोगृहस्थितां
विमलां दयाकरसरस्वतीं भजे।
सुजनैकवन्दितमनोज्ञविग्रहां
सदयां सहस्रररवितुल्यशोभिताम्।
जननन्दिनीं नतमुनीन्द्रपुष्करां
विमलां दयाकरसरस्वतीं भजे।
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