गोसेवा का चमत्कार

गोसेवा का चमत्कार

एक छोटे से गांव में डॉक्टर रमेश शर्मा अपनी धर्मपत्नी सीता देवी के साथ रहते थे। वे दोनों गहरे आध्यात्मिक स्वभाव के थे। सीता देवी गायों की सेवा में विश्वास रखती थीं और अक्सर कहती थीं कि गाय में सभी देवता निवास करते हैं।

सन् 1975 में, अपनी मृत्यु से छह महीने पहले, सीता देवी ने अपने पति से कहा कि उन्हें अपना अंत निकट लगता है। स्वस्थ होने के बावजूद उन्होंने कहा, 'मेरा समय नजदीक आ रहा है।' धार्मिक होते हुए भी रमेश शर्मा को उनकी बात पर पूरी तरह विश्वास नहीं हुआ।

मृत्यु से दो महीने पहले, उन्होंने अपने जाने की सही तिथि भी बताई। इसके बाद उन्होंने प्रार्थनाओं और गोसेवा में खुद को समर्पित कर दिया। 12 नवंबर को उन्होंने अपनी भविष्यवाणी दोहराई। मृत्यु से दो दिन पहले उन्होंने 'राम' और 'ॐ' का निरंतर जाप सुनने का आग्रह किया।

अंतिम क्षण में, वह बेहोश हो गईं। रमेश शर्मा ने उन्हें दवाओं से होश में लाया और पूछा, 'आपको अपनी मृत्यु के बारे में कैसे पता चला? यह तो ऋषि-मुनि भी नहीं जान पाते।'

उन्होंने शांत स्वर में उत्तर दिया, 'यह गोसेवा की शक्ति है। मुझे ऐसा लगा जैसे मैं आकाश की ओर जा रही हूं। गोमातायें चारों ओर से घेरकर मेरी रक्षा कर रही थीं । एक आवाज आई, 'गायें तुम्हारी रक्षा कर रही हैं। जाओ और अपने पति के संदेह दूर करो।''

इसके बाद उन्होंने मटके में दही मंगवाया। दही एक बछड़े को खिलाते हुए कहा, 'जब मेरी मां आएं और रोएं, तो उनसे कह देना कि वे न रोएं। उनसे कहना कि 'राम' या 'ॐ' का जाप करें।'

बछड़े को दही खिलाने के बाद उन्होंने शांति से प्राण त्याग दिए। उनकी भक्ति और गोमाताओं के आशीर्वाद का यह चमत्कार देखकर सभी चकित रह गए।

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