लक्ष्मीनृसिंहललनां जगतोस्यनेत्रीं
मातृस्वभावमहितां हरितुल्यशीलाम् ।
लोकस्य मङ्गलकरीं रमणीयरूपां
पद्मालयां भगवतीं शरणं प्रपद्ये ॥
श्रीयादनामकमुनीन्द्रतपोविशेषात्
श्रीयादशैलशिखरे सततं प्रकाशौ ।
भक्तानुरागभरितौ भवरोगवैद्यौ
लक्ष्मीनृसिंहचरणौ शरणं प्रपद्ये ॥
देवस्वरूपविकृतावपिनैजरूपौ
सर्वोत्तरौ सुजनचारुनिषेव्यमानौ ।
सर्वस्य जीवनकरौ सदृशस्वरूपौ
लक्ष्मीनृसिंहचरणौ शरणं प्रपद्ये ॥
लक्ष्मीश ते प्रपदने सहकारभूतौ
त्वत्तोप्यति प्रियतमौ शरणागतानाम् ।
रक्षाविचक्षणपटू करुणालयौ श्री-
लक्ष्मीनृसिंह चरणौ शरणम् प्रपद्ये ॥
प्रह्लादपौत्रबलिदानवभूमिदान-
कालप्रकाशितनिजान्यजघन्यभावौ ।
लोकप्रमाणकरणौ शुभदौ सुरानां
लक्ष्मीनृसिंहचरणौ शरणं प्रपद्ये ॥
कायादवीयशुभमानसराजहंसौ
वेदान्तकल्पतरुपल्लवटल्लिजौतौ ।
सद्भक्तमूलधनमित्युदितप्रभावौ
लक्ष्मीनृसिंह चरणौ शरणं प्रपद्ये ॥

 

Ramaswamy Sastry and Vighnesh Ghanapaathi

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