कराभ्यां परशुं चापं दधानं रेणुकात्मजम्।
जामदग्न्यं भजे रामं भार्गवं क्षत्रियान्तकम्।
नमामि भार्गवं रामं रेणुकाचित्तनन्दनम्।
मोचिताम्बार्तिमुत्पातनाशनं क्षत्रनाशनम्।
भयार्तस्वजनत्राणतत्परं धर्मतत्परम्।
गतगर्वप्रियं शूरंं जमदग्निसुतं मतम्।
वशीकृतमहादेवं दृप्तभूपकुलान्तकम्।
तेजस्विनं कार्तवीर्यनाशनं भवनाशनम्।
परशुं दक्षिणे हस्ते वामे च दधतं धनुः।
रम्यं भृगुकुलोत्तंसं घनश्यामं मनोहरम्।
शुद्धं बुद्धं महाप्रज्ञामण्डितं रणपण्डितम्।
रामं श्रीदत्तकरुणाभाजनं विप्ररञ्जनम्।
मार्गणाशोषिताब्ध्यंशं पावनं चिरजीवनम्।
य एतानि जपेद्रामनामानि स कृती भवेत्।

 

Ramaswamy Sastry and Vighnesh Ghanapaathi

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