चण्डपापहर- पादसेवनं गण्डशोभिवर- कुण्डलद्वयम्।
दण्डिताखिल- सुरारिमण्डलं दण्डपाणिमनिशं विभावये।
कालकालतनुजं कृपालयं बालचन्द्रविलसज्-जटाधरम्।
चेलधूतशिशु- वासरेश्वरं दण्डपाणिमनिशं विभावये।
तारकेश- सदृशाननोज्ज्वलं तारकारिमखिलार्थदं जवात्।
तारकं निरवधेर्भवाम्बुधेर्दण्ड- पाणिमनिशं विभावये।
तापहारिनिज- पादसंस्तुतिं कोपकाममुख- वैरिवारकम्।
प्रापकं निजपदस्य सत्वरं दण्डपाणिमनिशं विभावये।
कामनीयकवि- निर्जिताङ्गजं रामलक्ष्मण- कराम्बुजार्चितम्।
कोमलाङ्गमति- सुन्दराकृतिं दण्डपाणिमनिशं विभावये।

 

Ramaswamy Sastry and Vighnesh Ghanapaathi

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वेदाधरा से हमें नित्य एक नयी उर्जा मिलती है ,,हमारे तरफ से और हमारी परिवार की तरफ से कोटिश प्रणाम -Vinay singh

यह वेबसाइट ज्ञान का अद्वितीय स्रोत है। -रोहन चौधरी

जय माधव आपकी वेबसाइट शानंदार है सभी लोगो को इससे लाभ होगा। जय श्री माधव -Gyan Prakash Awasthi

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