गङ्गे ममापराधानि क्षमस्व शिवजूटजे।
सर्वपापविनाशय त्वां सदा भक्त आश्रये।।
यमुने कृतपापेभ्यः क्षीणं सद्गतियाचकम्।
क्षमस्व दीनं मां देवि त्वामहं शरणं गतः।।
गोदावरि कृतान्येवं पापानीह मया भुवि।
क्षन्तव्योऽहं त्वया देवि शान्तिं कुरु कृपान्विते।।
नर्मदे पापशमनि पादयोः प्रणमामि ते।
अज्ञानकृतपापानि क्षमस्व दयया मम।।
सरस्वति शरण्या त्वं भक्तपापहरेश्वरि।
क्षमस्व दयया देवि दीनस्य कलुषं मम।।
सिन्धो तव कृपायाश्च पात्रं भूयासमद्रिजे।
क्षमस्व कृपया पापं त्वं सदा शरणं मम।।
कावेरि पापहरिणि दीनार्तिहरणे शिवे।
पापं हर मम क्षिप्रं शरणागतवत्सले।।