सबके अन्दर दिव्य चक्षु विद्यमान है। इस दिव्य चक्षु से ही हम सपनों को देखते हैं। पर जब तक इसका साधना से उन्मीलन न हो जाएं इससे बाहरी दुनिया नहीं देख सकते।
ब्रह्माण्ड पुराण के अनुसार अन्नदान करने वाले की आयु, धन-संपत्ति, दीप्ति और आकर्षणीयता बढती हैं । उसे ले जाने स्वर्गलोक से सोने से बना विमान आ जाता है । पद्म पुराण के अनुसार अन्नदान के समान कॊई दूसरा दान नहीं है । भूखे को खिलाने से इहलोक और परलोक में सुख की प्राप्ति होती है । परलोक में पहाडों के समान स्वादिष्ठ भोजन ऐसे दाता के लिए सर्वदा तैयार रहता है । अन्न के दाता को देवता और पितर आशीर्वाद देते हैं । उसे सारे पापों से मुक्ति मिलती है ।
चंडी मंदिर चंडीगढ़
इस प्रसिद्ध चंडी माता के मंदिर के नाम से चंडीगढ़ शहर जाना ....
Click here to know more..शंकर भगवान जैसे कोई दानी नहीं है- तुलसीदासजी द्वारा रचित दानी कहूं
सप्तनदी अपराध क्षमापण स्तोत्र
गङ्गे ममापराधानि क्षमस्व शिवजूटजे। सर्वपापविनाशय त्वा....
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