सभी धर्मों का सम्मान करें और उनके महत्व को समझें, परंतु अपने मार्ग पर स्थिर रहें, अपने विश्वास और आचरण के प्रति सच्चे बने रहें।
ॐ जूँ सः ईँ सौः हँसः सञ्जीवनि सञ्जीवनि मम हृदयग्रन्थिस्थँ प्राणँ कुरु कुरु सोहँ सौः ईँ सः जूँ ॐ ॐ जूँ सः अमृठोँ नमश्शिवाय ।
विपदि धैर्यमथाभ्युदये क्षमा
विपदाओं के आने पर धैर्य, समुन्नति के आने पर क्षमा, सभा में �....
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अन्नपूर्णा स्तोत्र
नित्यानन्दकरी वराभयकरी सौन्दर्यरत्नाकरी निर्धूताखिलघ....
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