सूरदास का जन्मस्थान क्या है?

सूरदास जी का जन्म सीही गांव, फरीदाबाद, हरियाणा में हुआ था। एक मत यह भी है कि उनका जन्म मथुरा से आगरा के रास्ते में पड़ने वाले रनुक्ता गांव में हुआ था।

वह 18 वर्ष की आयु तक अपने जन्मस्थान पर रहे।

वहां उन्होंने एक चमत्कार कर दिखाया।

उन्होंने अपनी दिव्य दृष्टि से एक स्थानीय जमींदार की खोई हुई गायों को ढूंढ लिया।

मकान मालिक बहुत प्रभावित हुआ।

उन्होंने सूरदास जी के रहने के लिए एक घर बनवाया।

वहां उन्होंने अनेक शिष्य बनाये।

तब सूरदास जी के मन में वैराग्य उत्पन्न हो गया।

वह गांव छोड़कर गऊघाट चला गया।

सूरदास की जन्म तिथि एवं मृत्यु तिथि -

सूरदास जी का जन्म 16 अप्रैल, 1478 ई. में हुआ था। यह वैशाख शुक्ल पंचमी को था। मृत्यु की तारीख अनिश्चित है. यह 1561 से 1584 ई. के बीच की बात है।

संत सूरदास के गुरु कौन थे?

पुष्टिमार्ग (वल्लभ संप्रदाय) के संस्थापक वल्लभाचार्य सूरदास जी के गुरु थे।

आचार्य आडेल से व्रज की ओर जा रहे थे। गऊघाट पर उनकी मुलाकात सूरदास जी से हुई।

वल्लभाचार्य ने सूरदास जी से कृष्ण की स्तुति गाने को कहा।

सूरदास जी ने गाया - 'हरि, होन सब पतितनी को नायक' (हरि, सभी पतितों के मार्गदर्शक)।

आचार्य ने उससे पूछा - बेंग सूर (वीर), तुम यह दुखदायी गीत क्यों गा रहे हो?

और आचार्य उन्हें अपने साथ गोकुल ले गये।

वहां उन्होंने उन्हें श्रीमद्भागवत की सुबोधिनी टीका सिखायी।

वहाँ सूरदास जी ने श्रीनाथ जी (गोवर्धन) के चरण कमलों की सेवा की।

सूरदास जी ने वल्लभाचार्य की शिक्षाओं के आधार पर हजारों पद्यों की रचना की।

क्या सूरदास जी जन्म से अंधे थे?

यह व्यापक रूप से माना जाता है कि सूरदास जी जन्म से अंधे थे।

इसके बावजूद भी वह गोकुल के भगवान नवनीत प्रिय कन्हैया जी की पोशाक और आभूषणों का सही वर्णन कर सके।

एक दिन सूरदास जी की परीक्षा लेने के लिए भगवान का केवल मोतियों से श्रृंगार किया गया।

सूरदास जी ने गाया - 'देख री हरि नंगम नंगा।

जलसुत भूषण अंग बिराजत, बसन हीन छबि उठत टांगा।।

अंग अंग प्रति अमित राघव, निरखि लजित रति कोटि अनंगा।

किलकत दधिसुत मुख ले मन भारी, सुर हँसत ब्रज जुवतिन संगा।।'

(हे हरि भगवान, आप बिना वस्त्रों के दिख रहे हैं। आपके शरीर पर केवल जल में छिपे हुए मोतियों का आभूषण है और वस्त्रों के बिना आपकी शोभा और भी अनूठी हो रही है। आपके प्रत्येक अंग को देखकर कामदेव की करोड़ों शक्तियाँ भी लज्जित हो रही हैं। जब आपने माखन से सने मुख को पकड़ा तो आपका मन थोड़ा भारी हुआ, लेकिन ब्रज की गोपियाँ देवताओं के साथ इस दृश्य को देखकर हँसने लगीं।)


सूरदास जी की मृत्यु कहाँ हुई?

सूरदास जी की मृत्यु गोवर्धन में हुई। अपने निधन से ठीक पहले वे श्रीनाथजी मंदिर के ध्वजस्तंभ के पास जाकर लेट गये। उस समय वल्लभाचार्य के पुत्र चतुर्भुज दास जी ने उनसे पूछा- आपने भगवान के बारे में हजारों श्लोक लिखे हैं। पर अपने गुरु के बारे में एक भी श्लोक क्यों नहीं लिखा?

सूरदास जी ने उससे कहा - मेरे लिए तो मेरे गुरु और भगवान एक ही हैं। मैंने जो कुछ लिखा है, वह भी मेरे गुरु को ही संबोधित है।

कवि सूरदास ने किस भाषा में अपनी कविताएँ लिखीं?

सूरदास जी ने अपनी कविताएँ ब्रज भाषा (व्रज भाषा) में लिखीं। यह मध्य और पश्चिमी उत्तर प्रदेश, पूर्वी राजस्थान, दक्षिणी हरियाणा और उत्तरी मध्य प्रदेश से मिलकर बनी ब्रज भूमि की आम आदमी की भाषा थी। ब्रज भाषा अवधी के समान है।

भक्ति आंदोलन में सूरदास का क्या योगदान है?

सूरदास जी ने अपनी कविताओं में अन्य प्रणालियों की तुलना में भक्ति की महानता को व्यक्त किया। उन्होंने सिखाया कि भक्ति ही एकमात्र सरल और सहज तरीका है जिसके माध्यम से भगवान को प्राप्त किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि भक्ति के बिना की गई कोई भी पूजा बेकार है। जो लोग भक्ति के बिना रहते हैं वे नरक में जाते हैं।सूरदास जी की रचनाओं के माध्यम से समाज को भक्ति की महानता, सरलता और विधि के बारे में पता चला।

सूरदास की रचनाएँ -

सूरदास की शिक्षाएँ क्या थीं?

118.7K
17.8K

Comments

Security Code

14430

finger point right
Surdaas ji ke baare me, Sundar information likhi hai.. Jai ho. -User_skg6ew

आपको धन्यवाद धन्यवाद धन्यवाद -Ghanshyam Thakar

आपकी वेबसाइट बहुत ही अद्भुत और जानकारीपूर्ण है।✨ -अनुष्का शर्मा

आपकी सेवा से सनातन धर्म का भविष्य उज्ज्वल है 🌟 -mayank pandey

आप लोग वैदिक गुरुकुलों का समर्थन करके हिंदू धर्म के पुनरुद्धार के लिए महान कार्य कर रहे हैं -साहिल वर्मा

Read more comments

Knowledge Bank

अनाहत चक्र के देवता कौन हैं?

अनाहत चक्र में पिनाकधारी भगवान शिव विराजमान हैं। अनाहत चक्र की देवी है काकिनी जो हंसकला नाम से भी जानी जाती है।

सत्य की शक्ति -

जो सत्य के मार्ग पर चलता है वह महानता प्राप्त करता है। झूठ से विनाश होता है, परन्तु सच्चाई से महिमा होती है। -महाभारत

Quiz

व्यास जी के पुत्र का नाम?

Recommended for you

प्रथमे नार्जिता विद्या

प्रथमे नार्जिता विद्या

जीवने के पहले खंड में विद्या कमानी चाहिए | जीवन के दूसरे ख�....

Click here to know more..

मां शक्ति

मां शक्ति

जानिए मां शक्ति की महिमा के बारे में....

Click here to know more..

एकदंत स्तोत्र

एकदंत स्तोत्र

गृत्समद उवाच - मदासुरः प्रणम्यादौ परशुं यमसन्निभम् । तुष....

Click here to know more..