अर्थानामर्जने दुःखमर्जितानां च रक्षणे |
आये दुःखं व्यये दुःखं धिगर्थाः कष्टसंश्रयाः ||
धन कमाने के लिए परिश्रम करना पडता है और उस से दुख उत्पन्न होता है | फिर कमाए हुए धन को बचाने के लिए दुःख होता है | जब धन कमाना होता है तब भी दुख ही होता है और जब धन का व्यय हो जाता है तब भी दुख ही होता है | यह धन ही दुख का आधार है |
रसातल में रहनेवाली सुरभि के दूध की धारा से क्षीरसागर उत्पन्न हुआ। क्षीरसागर के तट पर रहने वाले फेनप नामक मुनि जन इसके फेन को पीते रहते हैं।
गवां वा ब्राह्मणानां वा वधो यत्र च दस्युभिः। असावयज्ञियो देशः - जिस देश में दुष्टों द्वारा गौ और तपोनिष्ठ ब्राह्मणों का वध होता है, वह देश यज्ञ के लिए योग्य नहीं है।
उत्तम वैद्य- बच्चों के लिए एक आँखें खोल देनेवाली कहानी
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नैमिषारण्यकी बात है। शौनक आदि ऋषि यज्ञोंद्वारा भगवान् व�....
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