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वेद पाठशालाओं और गौशालाओं के लिए आप जो अच्छा काम कर रहे हैं, उसे देखकर बहुत खुशी हुई 🙏🙏🙏 -विजय मिश्रा

वेदधारा के कार्य से हमारी संस्कृति सुरक्षित है -मृणाल सेठ

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मंगल चण्डिका स्तोत्र किसके बारे में है?

मंगल चण्डिका मां दुर्गा का एक स्वरूप है। सबसे पहले महादेव ने मंगल चण्डिका की पूजा की थी, त्रिपुर के युद्ध के समय। देवी त्रिपुर दहन में भगवान की शक्ति बन गई। यह देवी हमेशा १६ वर्ष की होती है और उनका रंग सफेद चंपा के फूल जैसा है। जिनकी कुंडली में मंगल ग्रह की पीडा हो वे विशेष रूप से मंगल चण्डिकाकी पूजा कर सकते हैं।

दिव्य चक्षु

सबके अन्दर दिव्य चक्षु विद्यमान है। इस दिव्य चक्षु से ही हम सपनों को देखते हैं। पर जब तक इसका साधना से उन्मीलन न हो जाएं इससे बाहरी दुनिया नहीं देख सकते।

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देवघर वैद्यनाथ धाम की यात्रा में कावड़ियां गंगाजी का पवित्र जल कहां से लाते हैं ?

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