चार्वाक दर्शन में सुख शरीरात्मा का एक स्वतंत्र गुण है। दुख के अभाव को चार्वाक दर्शन सुख नहीं मानता है।
पर्जन्य अस्त्र का उपयोग प्राचीन समय में युद्धों के दौरान किया जाता था। यह एक प्रकार का बाण था, जिसके उपयोग से भारी वर्षा होती थी। पर्जन्य अस्त्र की मदद से शत्रु के अग्नि बाणों को शांत किया जा सकता था। ये वे अस्त्र हैं, जो मन्त्रों के माध्यम से सक्रिय किए जाते हैं। प्रत्येक अस्त्र का संबंध किसी विशेष देवता से होता है और इन्हें मन्त्रों और तंत्रों के माध्यम से संचालित किया जाता है। इन्हें दिव्य और मान्त्रिक अस्त्र कहा जाता है।
अष्टमूर्तियां - शिव जी के आठ स्वरूप
अष्टमूर्तियों का अवधारणा बताती है कि यह ब्रह्मांड को शिव....
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आदित्य हृदय स्तोत्र
अथ आदित्यहृदयम् ततो युद्धपरिश्रान्तं समरे चिन्तया स्थि....
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