आरती करने के तीन उद्देश्य हैं। १. नीरांजन - देवता के अङ्ग-प्रत्यङ्ग चमक उठें ताकि भक्त उनके स्वरूप को अच्छी तरह समझकर अपने हृदय में बैठा सकें। २. कष्ट निवारण - पूजा के समय देवता का भव्य स्वरूप को देखकर उनके ऊपर भक्तों की ही नज़र पड सकती है। छोटे बच्चों की माताएँ जैसे नज़र उतारती हैं, ठीक वैसे ही आरती द्वारा देवता के लिए नज़र उतारी जाती है। ३, त्रुटि निवारण - पूजा में अगर कोई त्रुटि रह गई हो तो आरती से उसका निवारण हो जाता है।
साधारण दिनों में सालासर बालाजी का दर्शन एक घंटे में हो जाता है। शनिवान, रविवार और मंगलवार को ३ से ४ घंटे लग सकते हैं।
आञ्जनेयाय विद्महे रामदूताय धीमहि तन्नो हनुमत्प्रचोदयात्....
आञ्जनेयाय विद्महे रामदूताय धीमहि तन्नो हनुमत्प्रचोदयात्
भस्म धारण मंत्र
ॐ नमः शिवाय - मन्त्र बोलकर ललाट, ग्रीवा, भुजाओं और हृदय में ....
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यो ब्रह्मा ब्रह्मण उज्जहार प्राणैः शिरः कृत्तिवासाः पि�....
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अस्य श्री-अङ्गारककवचस्तोत्रमन्त्रस्य। कश्यप-ऋषिः। अनु�....
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