इन्द्रद्युम्न की कहानी ऋषि मार्कण्डेय ने पांडवों को सुनाई थी। यह महाभारत के वन पर्व के १९९वें अध्याय में मिलता है।

 

प्रसंग

ऋषि मार्कण्डेय पांडवों के पास आये, जब वे काम्यक-वन में रहते थे। उन्होंने पांडवों को कई वैदिक सिद्धांत और भारतवर्ष के इतिहास के बारे में बताया।

पांडवों ने ऋषि से पूछा - हम जानते हैं कि आप चिरजीवि हैं। क्या आपसे भी उम्र में कोई बड़ा है?

इस प्रश्न के उत्तर के रूप में मार्कण्डेय ने उन्हें इन्द्रद्युम्न की कहानी सुनाई।

 

  

इन्द्रद्युम्न कौन थे?

इन्द्रद्युम्न एक राजर्षि थे, एक राजा जिन्होंने तपस्या की और ऋषि के पद को प्राप्त किया। पृथ्वी पर उनके अच्छे कर्मों के कारण उन्हें स्वर्गलोक में स्थान दिया गया।

 

इन्द्रद्युम्न को स्वर्गलोक छोडना पडा

लेकिन एक दिन, इन्द्रद्युम्न को बताया गया कि स्वर्गलोक में उनका वास समाप्त हो गया है। उन्हें वापस पृथ्वी पर जाना होगा। जब कोई स्वर्गलोक के सुखों का भोग करता जाता है तो पृथ्वी पर अच्छे कर्मों से प्राप्त पुण्य समाप्त होता जाता है। इन्द्रद्युम्न का पुण्य समाप्त हो गया था।

लेकिन यह कैसे पता चलेगा?

जब पृथ्वी पर लोग किसी के किए हुए अच्छे कार्यों को याद नहीं करते और उनके बारे में बात करना बंद कर देते हैं, तो इसका मतलब है कि उनका पुण्य समाप्त हो गया है। फिर उन्हें स्वर्गलोक से बाहर आना होगा।

यह नरक पर भी लागू होता है। यदि कोई अपने किए हुए बुरे कर्मों के कारण नरक में जाता है तो उसे वहाँ तब तक कष्ट भोगना पड़ता है जब तक लोग उनके कुकर्मों के बारे में बात करते रहते हैं।

 

इन्द्रद्युम्न ऋषि मार्कण्डेय के पास जाते हैं

पृथ्वी पर वापस आने के बाद इन्द्रद्युम्न ऋषि मार्कण्डेय के पास गए।

इन्द्रद्युम्न - प्रभु, क्या आप मुझे पहचानते हैं?

मार्कण्डेय एक चिरजीवि होने के कारण उस समय भी जीवित रहे होंगे जब इन्द्रद्युम्न पृथ्वी पर राजा थे। इसी आशा के साथ इन्द्रद्युम्न उनके पास गए थे।

मार्कण्डेय - हम ऋषि जन एक रात से अधिक एक स्थान पर नहीं रहते। हम एक जगह से दूसरी जगह घूमते रहते हैं। चूंकि हम हमेशा व्रत, उपवास और यज्ञ करने में व्यस्त रहते हैं, इसलिए हमें सांसारिक मामलों में शामिल होने का समय नहीं मिलता है। मुझे नहीं लगता कि मैं आपको जानता हूं।

इन्द्रद्युम्न - क्या ऐसा कोई है जो आपसे पहले पैदा हुआ होगा? उसे शायद मेरी याद होगी।

मार्कण्डेय - हिमालय पर्वत पर एक उल्लू है। उसका नाम है प्रावारकर्ण। वह मुझसे बड़ा है। वह आपको शायद पहचान पाएगा।

तब इन्द्रद्युम्न खुद को एक घोड़े में बदल कर ऋषि को हिमालय ले गये उस उल्लू के पास।

इन्द्रद्युम्न ने उल्लू से पूछा - क्या आप मुझे पहचानते हैं?

उल्लू ने दो घंटे तक सोचा और कहा - नहीं, मैं आपको नहीं जानता।

इन्द्रद्युम्न - क्या आपसे उम्र में कोई बड़ा है?

उल्लू - इन्द्रद्युम्न सरोवर नाम की एक झील है। नाडीजंघ नामक एक बक वहां रहता है। वह मुझसे बड़ा है।

इन्द्रद्युम्न, मार्कण्डेय और उल्लू झील की ओर गए।

वहाँ उन्होंने बक से पूछा - क्या आपने राजा इन्द्रद्युम्न के बारे में सुना है?

बक भी राजा को नहीं पहचान पाया, लेकिन उसने कहा - इस झील में एक कछुआ रहता है। उसका नाम अकूपार है। वह मुझसे बड़ा है। चलो उससे पूछतें हैं।

बक ने कछुए को पुकारा।

अकूपार पानी से बाहर आया।

उन्होंने उससे पूछा - क्या आप इन्द्रद्युम्न नामक राजा को जानते हैं?

अकूपार ने दो घंटे सोचा। उसकी आंखों में आंसू आने लगे।

उसने हाथ जोड़कर इन्द्रद्युम्न की ओर देखा और कहा - मैं आपको कैसे भूल सकता हूं? आप महान राजा इन्द्रद्युम्न हैं जिन्होंने एक हजार याग किए हैं। आपने दान के रूप में इतनी गायें दी हैं कि यह झील उनके पैरों के निशान से बनी है। इसीलिए इस झील को आप ही का नाम दिया गया है।

 

इन्द्रद्युम्न स्वर्गलोक वापस चले जाते हैं

चूँकि उन्हें अभी भी पृथ्वी पर याद किया जाता था, इसलिए इन्द्रद्युम्न स्वर्गलोक में स्थान पाने के योग्य थे। कछुआ चिरजीवि था। तो, इन्द्रद्युम्न स्वर्गलोक में कछुए की आयु तक रह सकते हैं। स्वर्गलोक से एक विमान आया और उन्हें वापस ले गया।

लेकिन स्वर्गलोक जाने से पहले, इन्द्रद्युम्न ने ऋषि और उल्लू को वापस छोड़ दिया, जहां से उन्होंने उन्हें ले आया था। नहीं तो वह कृतघ्नता होती।

महाभारत की यह कहानी हमें बताती है कि जीवन में अच्छे कर्म करते रहना कितना महत्वपूर्ण है। मृत्यु के बाद परलोक में हमारी स्थिति पूरी तरह से इस बात पर निर्भर करती है कि अब हम अपना जीवन कितनी अच्छी तरह जीते हैं।

119.9K
18.0K

Comments

Security Code

46017

finger point right
आपकी वेबसाइट अद्वितीय और शिक्षाप्रद है। -प्रिया पटेल

वेदधारा की धर्मार्थ गतिविधियों में शामिल होने पर सम्मानित महसूस कर रहा हूं - समीर

आप लोग वैदिक गुरुकुलों का समर्थन करके हिंदू धर्म के पुनरुद्धार के लिए महान कार्य कर रहे हैं -साहिल वर्मा

अति सुन्दर -User_slbo5b

आपके प्रवचन हमेशा सही दिशा दिखाते हैं। 👍 -स्नेहा राकेश

Read more comments

Knowledge Bank

श्रीकृष्ण के संग की प्राप्ति

श्रीकृष्ण के संग पाने के लिए श्री राधारानी की सेवा, वृन्दावन की सेवा और भगवान के भक्तों की सेवा अत्यन्त आवश्यक हैं। इनको किए बिना श्री राधामाधव को पाना केवल दुराशा मात्र है।

गाय को मारने से क्या होता है?

गाय को मारना ब्रह्महत्या के समान है। गाय को मारनेवाला कालसूत्र नामक नरक में जाता है। गाय को डंडे मारने वाले के हाथ काटे जाएंगे यमलोक में। जिस देश में गोहत्या होती है वह देश प्रगति नहीं करती है। वहां के लोग निष्ठुर, पापी, तामसिक और शूरता से रहित बन जाते हैं।

Quiz

वैनतेय किसे कहते है ?

Recommended for you

तथात्मा गुणदोषयोः

तथात्मा गुणदोषयोः

जिस प्रकार एक पर्वत के ऊपर एक बडे पत्थर को लेकर जाना कठिन �....

Click here to know more..

शांति और सुरक्षा के लिए तारक मंत्र | श्री राम जय राम जय जय राम

शांति और सुरक्षा के लिए तारक मंत्र | श्री राम जय राम जय जय राम

श्री राम जय राम जय जय राम ॥....

Click here to know more..

कावेरी स्तोत्र

कावेरी स्तोत्र

Click here to know more..