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मंत्र को समझने का महत्व

मन्त्रार्थं मन्त्रचैतन्यं यो न जानाति साधकः । शतलक्षप्रजप्तोऽपि तस्य मन्त्रो न सिध्यति - जो व्यक्ति मंत्र का अर्थ और सार नहीं जानता, वह इसे एक अरब बार जपने पर भी सफल नहीं होगा। मंत्र के अर्थ को समझना महत्वपूर्ण है। मंत्र के सार को जानना आवश्यक है। इस ज्ञान के बिना, केवल जप करने से कुछ नहीं होगा। बार-बार जपने पर भी परिणाम नहीं मिलेंगे। सफलता के लिए समझ और जागरूकता आवश्यक है।

भक्ति योग -

भक्ति योग हमें प्रेम, कृतज्ञता और भक्ति से भरे हृदय को विकसित करते हुए, हर चीज में परमात्मा को देखना सिखाता है।

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कुरुक्षेत्र युद्ध से पहले युधिष्ठिर ने विजय विजय पाने के लिए इस शिवलिंग की स्थापना की थी । कौन सा मंदिर है यह ?

यह बात सुनकर ऋषि लोग आश्चर्यचकित हो गये कि जगत के अधीश, समस्त प्राणियों के आश्रय, कारणों के भी कारण, भगवान् विष्णु का सिर कट गया था। उन्होंने जानना चाहा कि यह कब और कैसे हुआ। सूत जी बोलने लगे: एक बार भगवान विष्णु की लडाई चल रही थ�....

यह बात सुनकर ऋषि लोग आश्चर्यचकित हो गये कि जगत के अधीश, समस्त प्राणियों के आश्रय, कारणों के भी कारण, भगवान् विष्णु का सिर कट गया था।
उन्होंने जानना चाहा कि यह कब और कैसे हुआ।
सूत जी बोलने लगे: एक बार भगवान विष्णु की लडाई चल रही थी दानवों के साथ।
यह लडाई दस हज़ार वर्षों से चल रही थी।
इन कथाओं से हमें बहुत कुछ सीखने को मिलता है।
हर आध्यात्मिक तत्व जो समझने में कठिन है उनको इन सरल कथाओं द्वारा समझ सकते है।
हर व्यावहारिक तथ्य जिनके ऊपर हमारी दृष्टि नहीं पड़ती उन्हें दृष्टान्त देकर बताया गया है इन कथाओं में।
यहाँ देखो, भगवान लड रहे हैं दस हज़ार सालों से।
क्या भगवान अपनी जादुई छड़ी नहीं चला सकते?
एक इशारे से सारे दानवों को भस्म नही कर सकते?
नहीं, यह है जगत का नियम जो महाशक्ति के अधीन है।
यहां काम करना पडता है, प्रयास करना पडता है , उद्यम करना पडता है, भगवान को भी।
अपने द्वारा बनाए हुए नियमों को ईश्वर नहीं तोडता।
दस हज़ार साल दानवों के साथ लडकर भगवान हमें दिखा रहे हैं भूलोक में, इस जगत में प्रयास की कोई बदली नहीं है।
मैं हर दिन दिया जलाता हूँ, अगरबत्ती करता हूँ, तब भी भगवान ने मेरे लिये कुछ नहीं किया।
हर दिन पांच माला करता हूँ, तब भी भगवान ने मेरे लिए कुछ नहीं किया।
मेरी कोई चीज़ आसानि से नही होती।
बहुत प्रयास करना पड़ता है।
क्यों होगी आसानी से?
भगवान को स्वयं दस हजार साल लडना पडता है।
तुम कौन से तोप हो?
पूछोगे, यदि प्रयास ही करना है तो भगवान क्यों?
भगवान को तुम्हारा सेवक समझ रखा है क्या?
जो वह तुम्हारा काम करके देगा?
इसका भी उत्तर इसी में है।
भगवान कहते हैं कि वे शक्ति का आश्रय लेकर लड़ते हैं दानवों से और जीतते हैं उस लड़ाई में।
यदि तुम्हारे पीछे दैविक शक्ति नहीं है, तुम्हारे पास ईश्वर का आशीर्वाद नही है तो १० हजार साल की लडाई १० लाख साल में भी समाप्त नहीं होगा।
आशीर्वाद है तो विजय सुनिश्चित है, नहीं तो कोई निश्चितता नहीं।
मन में अध्यवसाय होना चाहिए, विश्वास में दृढ़ता होनी चाहिए, जीत सुनिश्चित रहेगा यदि तुम्हारे ऊपर ईश्वर का आशीर्वाद है तो।
समय लग सकता है।
जैसे भगवान कहते हैं वे भी संसार में आते हैं तो काल के अधीन हैं।
लेकिन भक्त के लिये विजय सुनिश्चित है।
तो भगवान दस हजार साल की लडाई के बाद थक गये।
थकावट से उनको नींद लगने लगी।
वे भूमि पर बैठ गए और धनुष के नोक पर अपने गर्दन रखकर सोने लगे।
धनुष में डोरी चढ़ी हुई थी।
उस समय ब्रह्मा, शंकर और इन्द्र वहाँ पहुँचे भगवान के दर्शन के लिये।
उनको यज्ञ करना था।
और यज्ञों के स्वामी है भगवान श्री हरि।
वहाँ पहुचे तो उन्होंने भगवान को गहरी नींद मे देखा।
क्या किया जाए?
इनको कैसे जगाया जाएँ?
समझ में नहीं आ रहा था।
भगवान को जगा नहीं सकते, उनको स्वयं जागना पडेगा।
और प्रतीक्षा करेंगे तो यज्ञ में देरी हो जायेगी।
देवताओं ने दीमक का सृजन किया।

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