ॐ आरिक्षीणियम् वनस्पतियायाम् नमः । बहुतेन्द्रीयम् ब्रहत् ब्रहत् आनन्दीतम् नमः । पारवितम नमामी नमः । सूर्य चन्द्र नमायामि नमः । फुलजामिणी वनस्पतियायाम् नमः । आत्मानियामानि सद् सदु नमः । ब्रम्ह विषणु शिवम् नमः । पवित्र पावन जलम नमः । पवन आदि रघुनन्दम नमः । इति सिद्धम् ।
भागवत के मार्ग में साधक को केवल भगवान में रुचि के साथ उनकी महिमाओं का श्रवण यही करना है। भक्ति अपने आप विकसित होगी। भक्ति का विकास होने पर ज्ञान और वैराग्य अपने आप आ जाएंगे।
विपदि धैर्यमथाभ्युदये क्षमा
विपदाओं के आने पर धैर्य, समुन्नति के आने पर क्षमा, सभा में �....
Click here to know more..सुरक्षा और समृद्धि के लिए राम मंत्र
रामभद्र महेष्वास रघुवीर नृपोत्तम । दशास्यान्तक मां रक्�....
Click here to know more..वाणी शरणागति स्तोत्र
वेणीं सितेतरसमीरणभोजितुल्यां वाणीं च केकिकुलगर्वहरां �....
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