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अनाहत चक्र को कैसे जागृत करें?

महायोगी गोरखनाथ जी के अनुसार अनाहत चक्र और उसमें स्थित बाणलिंग पर प्रतिदिन ४८०० सांस लेने के समय तक (५ घंटे २० मिनट) ध्यान करने से यह जागृत हो जाता है।

वेदों की दिव्य उत्पत्ति और अधिकारिता

धर्म वेदों द्वारा स्थापित है, और अधर्म उसका विपरीत है। वेदों को श्री हरि का प्रत्यक्ष प्रकट रूप माना जाता है, और भगवान ने ही सबसे पहले उन्हें उद्घोषित किया। इसलिए, वेदों को समझने वाले विद्वान कहते हैं कि वेद श्री हरि के सार का प्रतिनिधित्व करते हैं। यह वेदों की दिव्य उत्पत्ति और अधिकारिता में विश्वास को रेखांकित करता है, जो मानवता को धार्मिकता की ओर मार्गदर्शन करने में उनकी भूमिका को उजागर करता है।

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नातह संप्रदाय के साधु-संत किस रंग के कपडे पहनते हैं ?

ॐ ह्रीं श्रीं द्राम्। दाशरथाय सीतावल्लभाय त्रैलोक्यनाथाय नमः।....

ॐ ह्रीं श्रीं द्राम्। दाशरथाय सीतावल्लभाय त्रैलोक्यनाथाय नमः।

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