क्यों कि शिव जी ही ब्रह्मा के रूप में सृष्टि, विष्णु के रूप में पालन और रुद्र के रूप में संहार करते हैं।
ॐ विष्णुर्विष्णुर्विष्णुः श्रीभगवतो महापुरुषस्य विष्णोराज्ञया प्रवर्तमानस्य, अद्य श्रीब्रह्मणो द्वितीय परार्धे श्वेतवराहकल्पे वैवस्वतमन्वन्तरे अष्टाविंशतितमे कलियुगे प्रथमे पादे जम्बूद्वीपे भारतवर्षे भरतखण्डे......क्षेत्रे.....मासे....पक्षे......तिथौ.......वासर युक्तायां.......नक्षत्र युक्तायां अस्यां वर्तमानायां.......शुभतिथौ........गोत्रोत्पन्नः......नामाहं श्रुतिस्मृतिपुराणोक्त-सत्फलावाप्त्यर्थं समस्तपापक्षयद्वारा सर्वारिष्टशान्त्यर्थं सर्वाभीष्टसंसिद्ध्यर्थं विशिष्य......प्राप्त्यर्थं सवत्सगोदानं करिष्ये।
कष्टों को दूर करने के लिए हनुमान मंत्र
कष्टों को दूर करने के लिए हनुमान मंत्र....
Click here to know more..रेवती नक्षत्र
रेवती नक्षत्र - व्यक्तित्व और विशेषताएं, स्वास्थ्य, व्यव�....
Click here to know more..अयोध्या मंगल स्तोत्र
यस्यां हि व्याप्यते रामकथाकीर्त्तनजोध्वनिः। तस्यै श्र�....
Click here to know more..