गौरीनाथाय विद्महे तन्महेशाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्
हम गौरी (पार्वती) के नाथ की उपासना करते हैं, और महेश (शिव) का ध्यान करते हैं। वह रुद्र हमें प्रेरित और मार्गदर्शित करें।
शब्द-दर-शब्द अर्थ: गौरीनाथाय - गौरी (पार्वती) के नाथ को विद्महे - हम जानते हैं, हम ध्यान करते हैं तन्महेशाय - उस महेश (शिव) को धीमहि - हम ध्यान करते हैं, हम उपासना करते हैं तन्नः - वह (भगवान), हमारे रुद्रः - रुद्र, शिव का एक उग्र रूप प्रचोदयात् - वह प्रेरित करें, वह मार्गदर्शन करें
यह मंत्र भगवान शिव को वैवाहिक सामंजस्य के रक्षक के रूप में सम्मानित करता है। उनके आशीर्वाद का आह्वान करने से दंपति का जीवन परस्पर सम्मान और प्रेम की दिशा में अग्रसर होता है। यह मंत्र शिव और पार्वती के एकत्व का प्रतीक है, जो एक सशक्त और सुखी विवाह के आदर्श को दर्शाता है।
सुनने के लाभ: इस मंत्र को सुनने से पति-पत्नी के बीच का संबंध मजबूत होता है। यह वैवाहिक जीवन में सामंजस्य, समझ और खुशी लाता है। दंपति एक गहरे संबंध और निकटता का अनुभव करते हैं, जिससे प्रेमपूर्ण और स्थायी संबंध को बढ़ावा मिलता है।
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