खतरों और परेशानियों से सुरक्षा के लिए रुद्र सूक्त

त्वादत्तेभी रुद्र शंतमेभिः शतँ हिमा अशीय भेषजेभिः।
व्यस्मद्द्वेषो वितरं व्यँहः व्यमीवाँ श्चातयस्वा विषूचीः॥
अर्हन्बिभर्षि सायकानि धन्व।
अर्हन्निष्कं यजतं विश्वरूपम्॥
अर्हन्निदं दयसे विश्वमब्भुवम्।
न वा ओजीयो रुद्र त्वदस्ति॥
मा नस्तोके तनये मा न आयुषि मा नो गोषु मा नो अश्वेषु रीरिषः।
वीरान्मा नो रुद्रभामितो वधीर्हविष्मन्तो नमसा विधेम ते॥
आ ते पितर्मरुताँ सुम्नमेतु।
मा नस्सूर्यस्य संदृशो युयोथाः॥
अभि नो वीरो अर्वति क्षमेत।
प्रजायेमहि रुद्र प्रजाभिः॥
एवा बभ्रो वृषभ चेकितान।
यथा देव न हृणीषे न हँसि॥
हावनश्रूर्नो रुद्रेह बोधि।
बृहद्वदेम विदथे सुवीराः॥
परि णो रुद्रस्य हेतिर्वृणक्तु परि त्वेषस्य दुर्मतिरघायो:।
अव स्थिरा मघवद्भ्यस्तनुष्व मीढ्वस्तोकाय तनयाय मृडय॥
स्तुहि श्रुतं गर्तसदं युवानम्मृगं न भीममुपहत्नुमुग्रम्।
मृडा जरित्रे रुद्र स्तवानो अन्यं ते अस्मन्नि वपन्तु सेना:॥
मीढुष्टम शिवतम शिवो न: सुमना भव।
परमे वृक्ष आयुधं निधाय कृत्तिं वसान आ चर पिना कं बिभ्रदा गहि॥
अर्हन्बिभर्षि सायकानि धन्व।
अर्हन्निष्कं यजतं विश्वरूपम्॥
अर्हन्निदं दयसे विश्वमब्भुवम्।
न वा ओजीयो रुद्र त्वदस्ति॥
त्वमग्ने रुद्रो असुरो महो दिवस्त्वँ शर्धो मारुतं पृक्ष ईशिषे।
त्वं वातैररुणैर्यासि शङ्गयस्त्वं पूषा विधतः पासि नु त्मना॥
आ वो राजानमध्वरस्य रुद्रँ होतारँ सत्ययजँ रोदस्योः।
अग्निं पुरा तनयित्नोरचित्ताद्धिरण्यरूपमवसे कृणुध्वम्॥

Mantras

Mantras

मंत्र

Click on any topic to open

Copyright © 2025 | Vedadhara | All Rights Reserved. | Designed & Developed by Claps and Whistles
| | | | |
Vedahdara - Personalize
Whatsapp Group Icon
Have questions on Sanatana Dharma? Ask here...