देवेन्द्रमौलिमन्दार- मकरन्दकणारुणाः।
विघ्नं हरन्तु हेरम्ब- चरणाम्बुजरेणवः।
अष्टभुज अष्टक स्तोत्र
गजेन्द्ररक्षात्वरितं भवन्तं ग्राहैरिवाहं विषयैर्विकृ....
Click here to know more..कृष्ण स्तुति
श्रियाश्लिष्टो विष्णुः स्थिरचरगुरुर्वेदविषयो धियां स�....
Click here to know more..शुकदेव राजा जनक के द्वारपाल को द्वैविध्य के बारे में समझाते हैं