आदिपूज्यं गणाध्यक्षमुमापुत्रं विनायकम्।
मङ्गलं परमं रूपं श्रीगणेशं नमाम्यहम्।।
हनुमान आरती
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की। जाके बल ....
Click here to know more..एक श्लोकी शंकर दिग्विजय स्तोत्र
आर्याम्बाजठरे जनिर्द्विजसतीदारिद्र्यनिर्मूलनं सन्या�....
Click here to know more..ध्यान करते समय एकांतता ज़रूरी क्यों है?