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वेदधारा के माध्यम से हिंदू धर्म के भविष्य को संरक्षित करने के लिए आपका समर्पण वास्तव में सराहनीय है -अभिषेक सोलंकी

Ram Ram -Aashish

आप लोग वैदिक गुरुकुलों का समर्थन करके हिंदू धर्म के पुनरुद्धार के लिए महान कार्य कर रहे हैं -साहिल वर्मा

आपके वेदधारा ग्रुप से मुझे अपार ज्ञान प्राप्त होता है, मुझे गर्व कि मैं सनातनी हूं और सनातन धर्म में ईश्वर ने मुझे भेजा है । आपके द्वारा ग्रुप में पोस्ट किए गए मंत्र और वीडियों को में प्रतिदिन देखता हूं । -Dr Manoj Kumar Saini

मेरे जीवन में सकारात्मकता लाने के लिए दिल से शुक्रिया आपका -Atish sahu

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त्वं भाभिराभिरभिभूय तमः समस्त-
मस्तं नयस्यभिमतानि निशाचराणाम्।
देदीप्यसे दिवमणे गगने हिताय
लोकत्रयस्य जगदीश्वर तन्नमस्ते।
लोकेऽतिवेलमतिवेलमहामहोभिर्-
निर्भासितौ च गगनेऽखिललोकनेत्रः।
विद्राविताखिलतमाः सुतमो हिमांशो
पीयूषपूरपरिपूरित तन्नमस्ते।
त्वं पावने पथि सदागतिरप्युपास्यः
कस्त्वां विना भुवनजीवन जीवतीह।
स्तब्धप्रभञ्जनविवर्धितसर्वजन्तोः
सन्तोषिताहिकुल सर्वग वै नमस्ते।
विश्वैकपावक न तावकपावकैक-
शक्ते-र्ऋते मृतवतामृतदिव्यकायम्।
प्राणिष्यदो जगदहो जगदन्तरात्मं-
स्त्वं पावकः प्रतिपदं शमदो नमस्ते।
पानीयरूप परमेश जगत्पवित्र
चित्राऽतिचित्रसुचरित्रकरोऽसि नूनम्।
विश्वं पवित्रममलं किल विश्वनाथ
पानीयगाहनत एतदतो नतोऽस्मि।
आकाशरूप बहिरन्तरुतावकाश-
दानाद्विकस्वरमिहेश्वर विश्वमेतत्।
त्वत्तः सदा सदय संश्वसिति स्वभावात्
सङ्कोचमेति भवतोऽस्मि नतस्ततस्त्वाम्।
विश्वम्भरात्मक बिभर्षि विभोऽत्र विश्वं
को विश्वनाथ भवतोऽन्यतमस्तमोऽरिः।
स त्वं विनाशय तमो मम चाहिभूष
स्तव्यात्परः परपरं प्रणतस्ततस्त्वाम्।
आत्मस्वरूप तवरूपपरम्पराभि-
राभिस्ततं हर चराचररूपेतत्।
सर्वान्तरात्मनिलय प्रतिरूपरूप
नित्यं नतोऽस्मि परमात्मजनोऽष्टमूर्ते।
इत्यष्टमूर्तिभिरिमाभिरबन्धुबन्धो
युक्तः करोषि खलु विश्वजनीनमूर्ते।
एतत्ततं सुविततं प्रणतप्रणीत
सर्वार्थसार्थपरमार्थ ततो नतोऽस्मि।

 

Ramaswamy Sastry and Vighnesh Ghanapaathi

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