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श्रीराधां राधिकां वन्दे कुञ्जकुञ्जेषु शोभिताम् ।
व्रजन्तीं सह कृष्णेन व्रजवृन्दावने शुभाम् ।।
दिव्यसौन्दर्यसम्पन्नां भजेऽहं मनसा सदा ।
राधिकां करुणापूर्णां सर्वेश्वरीं च सौभगाम् ।।
कृष्णहृदम्बुजां राधां स्मरामि सततं हृदा ।
रसिकैश्च समाराध्यां भावुकैश्च प्रपूजिताम् ।।
परमानन्दरूपां च भजेऽहं वृषभानुजाम् ।
सखिवृन्दैश्च संसेव्यां श्रीराधां व्रजवल्लभाम् ।।
कदलीचारुकुञ्जेषु राजितां राधिकां प्रियाम् ।
देवेन्द्राद्यैः सदाऽगम्यां भजेऽहं परमां शुभाम् ।।
सनकाद्यैः सदाऽऽराध्यां गीतां गन्धर्वकिन्नरैः ।
कुञ्जेश्वरीं भजे राधां विपिने च सुसेविताम् ।।
कोकिलासारिकानादैः सुस्मितां राधिकां भजे ।
निम्बकुञ्जे स्थितां राधां दिव्यकान्तियुतां प्रियाम् ।।
उच्चारितां हृदा कीरैः श्रुतिशास्त्रैर्भजे वराम् ।
दिव्यगुणान्वितां राधां व्रजजनैश्च भाविताम् ।।

 

Ramaswamy Sastry and Vighnesh Ghanapaathi

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