सतां श्रेष्ठं परात्मानमनन्यसदृशं गुरुम् ।
उग्रमन्तर्मृदुं वन्दे तुकारामं हरिप्रियम् ॥

अम्बलेकुलसम्भूतं देहूग्रामविभूषणम् ।
विरक्तिवल्लभं वन्दे तुकारामं हरिप्रियम् ॥

अभङ्गरचना यस्य सर्वसाधकदेशिका ।
जनोद्धर्त्री च तं वन्दे तुकारामं हरिप्रियम् ॥

वैकुण्ठभवनं त्यक्त्वा लोककल्याणहेतवे ।
अवतीर्णं प्रभुं वन्दे तुकारामं हरिप्रियम् ॥

प्रेममूर्तिं भक्तवर्यं सर्ववेदान्तरूपिणम् ।
दयालुं करुणं वन्दे तुकारामं हरिप्रियम् ॥

सदाचारपथादर्शं अज्ञानान्धदिवाकरम् ।
प्रसन्नं पावनं वन्दे तुकारामं हरिप्रियम् ॥

वेदनीतेः प्रणेतारं दीपं साधनवर्त्मनः ।
पाखण्डखण्डिनं वन्दे तुकारामं हरिप्रियम् ॥

विठ्ठलाङ्घ्रिरतं नित्यं वरदानन्ददैवतम् ।
शान्तं कृपाकरं वन्दे तुकारामं हरिप्रियम् ॥

 

Ramaswamy Sastry and Vighnesh Ghanapaathi

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हार्दिक आभार। -प्रमोद कुमार शर्मा

वेदधारा से जुड़ना एक आशीर्वाद रहा है। मेरा जीवन अधिक सकारात्मक और संतुष्ट है। -Sahana

वेदधारा से जब से में जुड़ा हूं मुझे अपने जीवन में बहुत कुछ सीखने को मिला वेदधारा के विचारों के माध्यम से हिंदू समाज के सभी लोगों को प्रेरणा लेनी चाहिए। -नवेंदु चंद्र पनेरु

सत्य सनातन की जय हो💐💐💐 -L R Sharma

वेद पाठशालाओं और गौशालाओं के लिए आप जो अच्छा काम कर रहे हैं, उसे देखकर बहुत खुशी हुई 🙏🙏🙏 -विजय मिश्रा

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