इन्द्रनीलमणिमञ्जुलवर्णः फुल्लनीपकुसुमाञ्चितकर्णः ।
कृष्णलाभिरकृशोरसिहारी सुन्दरो जयति कुञ्जविहारी ॥

राधिकावदनचन्द्रचकोरः सर्ववल्लववधूधृतिचोरः ।
चर्चरीचतुरताञ्चितचारी चारुतो जयति कुञ्जविहारी ॥

सर्वताः प्रतिथकौलिकपर्वध्वंसनेन हृतवासवगर्वः ।
गोष्ठरक्षणकृते गिरिधारी लीलया जयति कुञ्जविहारी ॥

रागमण्डलविभूषितवंशी विभ्रमेणमदनोत्सवशंसी-
स्तूयमानचरितः शुकशारिश्रोणिभिर्जयति कुञ्जविहारी ॥

शातकुम्भरुचिहारिदुकूलः केकिचन्द्रकविराजितचूडः ।
नव्ययौवनलसद्व्रजनारीरञ्जनो जयति कुञ्जविहारी ॥

स्थासकीकृतसुगन्धिपटीरः स्वर्णकाञ्चिपरिशोभिकटीरः ।
राधिकोन्नतपयोधरवारीकुञ्जारो जयति कुञ्जविहारी ॥

गौरधातुतिलकोज्ज्वलफालः केलिचञ्चलितचम्पकमालः ।
अद्रिकन्दरगृहेष्वभिसारी सुभ्रुवां जयति कुञ्जविहारी ॥

विभ्रमोच्चलदृगञ्चलनृत्यक्षिप्तगोपललनाखिलकृत्यः ।
प्रेममत्तवृषभानुकुमारीनागरो जयति कुञ्जविहारी ॥

अष्टकं मधुरकुञ्जविहारी क्रीडया पठति यः किल हारी ।
स प्रयाति विलसत्परभागं तस्य पादकमलार्चनरागम् ॥

 

Ramaswamy Sastry and Vighnesh Ghanapaathi

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आप लोग वैदिक गुरुकुलों का समर्थन करके हिंदू धर्म के पुनरुद्धार के लिए महान कार्य कर रहे हैं -साहिल वर्मा

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