श्रियमनपायिनीं प्रदिशतु श्रितकल्पतरुः
शिवतनयः शिरोविधृतशीतमयूखशिशुः।
अविरतकर्णतालजमरुद्गमनागमनै-
रनभिमतं धुनोति च मुदं वितनोति च यः।
सकलसुरासुरादिशरणीकरणीयपदः
करटिमुखः करोतु करुणाजलधिः कुशलम्।
प्रबलतरान्तरायतिमिरौघनिराकरण-
प्रसृमरचन्द्रिकायितनिरन्तरदन्तरुचिः।
द्विरदमुखो धुनोतु दुरितानि दुरन्तमद-
त्रिदशविरोधियूथकुमुदाकरतिग्मकरः।
नतशतकोटिपाणिमकुटीतटवज्रमणि-
प्रचुरमरीचिवीचिगुणिताङ्ग्रिनखांशुचयः।
कलुषमपाकरोतु कृपया कलभेन्द्रमुखः
कुलगिरिनन्दिनीकुतुकदोहनसंहननः।
तुलितसुधाझरस्वकरशीकरशीतलता-
शमितनताशयज्वलदशर्मकृशानुशिखः।
गजवदनो धिनोतु धियमाधिपयोधिवल-
त्सुजनमनःप्लवायितपदाम्बुरुहोऽविरतम्।
करटकटाहनिर्गलदनर्गलदानझरी-
परिमललोलुपभ्रमददभ्रमदभ्रमरः।
दिशतु शतक्रतुप्रभृतिनिर्जरतर्जनकृ-
द्दितिजचमूचमूरुमृगराडिभराजमुखः।
प्रमदमदक्षिणाङ्घ्रिविनिवेशितजीवसमा-
घनकुचकुम्भगाढपरिरम्भणकण्टकितः।
अतुलबलोऽतिवेलमघवन्मतिदर्पहरः
स्फुरदहितापकारिमहिमा वपुषीढविधुः।
हरतु विनायकः स विनताशयकौतुकदः
कुटिलतरद्विजिह्वकुलकल्पितखेदभरम्।
निजरदशूलपाशनवशालिशिरोरिगदा-
कुवलयमातुलुङ्गकमलेक्षुशरासकरः।
दधदथ शुण्डया मणिघटं दयितासहितो
वितरतु वाञ्छितं झटिति शक्तिगणाधिपतिः।
पठतु गणाधिपाष्टकमिदं सुजनोऽनुदिनं
कठिनशुचाकुठावलिकठोरकुठारवरम्।
विमतपराभवोद्भटनिदाघनवीनघनं
विमलवचोविलासकमलाकरबालरविम्।

 

Ramaswamy Sastry and Vighnesh Ghanapaathi

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भारतीय संस्कृति व समाज के लिए जरूरी है। -Ramnaresh dhankar

वेदधारा का कार्य सराहनीय है, धन्यवाद 🙏 -दिव्यांशी शर्मा

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वेदधारा से जुड़ना एक आशीर्वाद रहा है। मेरा जीवन अधिक सकारात्मक और संतुष्ट है। -Sahana

वेदधारा की वजह से हमारी संस्कृति फल-फूल रही है 🌸 -हंसिका

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