षण्मुखं पार्वतीपुत्रं क्रौञ्चशैलविमर्दनम्।
देवसेनापतिं देवं स्कन्दं वन्दे शिवात्मजम्।
तारकासुरहन्तारं मयूरासनसंस्थितम्।
शक्तिपाणिं च देवेशं स्कन्दं वन्दे शिवात्मजम्।
विश्वेश्वरप्रियं देवं विश्वेश्वरतनूद्भवम्।
कामुकं कामदं कान्तं स्कन्दं वन्दे शिवात्मजम्।
कुमारं मुनिशार्दूलमानसानन्दगोचरम्।
वल्लीकान्तं जगद्योनिं स्कन्दं वन्दे शिवात्मजम्।
प्रलयस्थितिकर्तारं आदिकर्तारमीश्वरम्।
भक्तप्रियं मदोन्मत्तं स्कन्दं वन्दे शिवात्मजम्।
विशाखं सर्वभूतानां स्वामिनं कृत्तिकासुतम्।
सदाबलं जटाधारं स्कन्दं वन्दे शिवात्मजम्।
स्कन्दषट्कं स्तोत्रमिदं यः पठेत् श‍ृणुयान्नरः।
वाञ्छितान् लभते सद्यश्चान्ते स्कन्दपुरं व्रजेत्।

 

Ramaswamy Sastry and Vighnesh Ghanapaathi

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